tag:blogger.com,1999:blog-3936116498597670130.post7383972278560599079..comments2021-06-01T20:35:09.775-07:00Comments on हमज़ुबां : ये तेरी नहीं अमानत, इसे तू दान मत देना // ye teri nahi amaanat ise tu daan mat denaaअमित हर्षhttp://www.blogger.com/profile/15062749453111796643noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3936116498597670130.post-9185600640694990762011-04-20T02:16:52.789-07:002011-04-20T02:16:52.789-07:00अमित भाई आपका अंदाज़-ए-बयां सच में बहुत ही सुन्दर ...अमित भाई आपका अंदाज़-ए-बयां सच में बहुत ही सुन्दर और लीक से हट कर रहता है हमेशा...<br /><br />बहुत खूब... आपकी नज़र मेरी एक तुकबंदी...<br /><br />शाख से फूल, फूल से खुशबु कभी जुदा न हो,<br />आबाद शहर-ए-दिल मैं अब कोई दूसरा न हो,<br />खो गए अब तो तेरी याद में इस तरह से हम,<br />जैसे के हमको खुद से ही कोई वास्ता न हो...Vinayhttps://www.blogger.com/profile/09745225545343291410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3936116498597670130.post-15086090201504200442011-04-16T06:38:17.881-07:002011-04-16T06:38:17.881-07:00आपकी ग़ज़ल हमेशा की तरह बहुत सुन्दर है .........उसक...आपकी ग़ज़ल हमेशा की तरह बहुत सुन्दर है .........उसको ध्यान में रखते हुए मैंने भी कुछ लिखा है......उम्मीद है आपको पसंद आएगा ........... <br />वाकिफ हो की जम जाती है काई ठहरे हुए पानी में<br />इसलिए बातों का सिलसिला यूँ ही बरकरार रखना<br /><br />राम की तरह ,समाज के कहने पर छोडोगे नहीं मुझे<br />किसी भी हाल में याद तुम अपना ये करार रखना<br /><br />आंच आने लगे अगर कभी जो तुम्हारे उसूलों पे<br />तो झुकना नहीं कभी ,लबों पे इनकार रखना<br /><br />कहीं भी रहूँ मैं,कुछ भी करू,तुम्हें मिलूँ न मिलूँ मैं<br />दिल से तुमसे बंधी रहूंगी बस इतना ऐतबार रखना<br /><br />पहली मुलाकातों के बाद की वो सिहरन याद है तुम्हें<br />वक्त कितना ही गुजार जाए मुझे वैसा ही बेक़रार रखना<br /><br />अलावा खुदा के किसी से कभी ना मांगना पड़े ,मुझे<br />बस यही एक आरज़ू है की मुझे इतना खुद्दार रखना<br /><br />वक्त की आँधियों के थपेड़े जब कभी डगमगाएं मुझें<br />तब तुम अपने आगोश में एक बसन्ती बयार रखना<br /><br />यूँ तो गलत राहों पे चल कर तरक्की का चलन है<br />बदले ज़माना पर तुम ज़मीर के पास अयार रखना<br /><br />रिश्तों में कड़वाहटें कितनी भी क्यूँ न बढ़ जाएँ<br />तुम अपनी अना की हमेशा, गिरी हर दीवार रखना ........Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.com